इस पाठ्यक्रम में सामान्य हिंदी और प्रयोजनमूलक हिंदी दोनों को ही सम्मिलितकिया गया है। गद्य और पद्य के साथ-साथ व्याकरण से विद्यार्थियों की भाषा काशुद्धीकरण भी होगा और प्रयोजनमूलक हिंदी पढ़ कर वे अपने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी कार्यालय और शिक्षण आदिक्षेत्रों में स्वयं की योग्यता सिद्ध कर सकते हैं। इस दृष्टि से यहपाठ्यक्रम विद्यार्थियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
Course |
Course Learning Outcomes |
Teaching and Learning Strategies |
Assessment Strategies |
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COURSE CODE |
Course Title |
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AHIN 200 A |
Hindi Theory
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पाठ्यक्रम पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी इनमें सक्षम होगाविभिन्नविद्वानोंकीरचनाओंकोपढ़नेसेशब्दभंडारविस्तृतहोगा
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Approach in teaching: प्रभावात्मकव्याख्यानविधि, प्रत्यक्षउदाहरणोंकेमाध्यमसेशिक्षण, परिचर्चा
Learning activities for the students: स्वमूल्यांकनअसाइनमेंट, प्रभावात्मकप्रश्न, विषयअनुसारलक्ष्यदेना, प्रस्तुतीकरण |
Class test, Semester end examinations, Quiz, Solving problems in tutorials, Assignments |
पद्य
सुभद्राकुमारीचौहान : वीरोंकाकैसाहोबसंत
सूर्यकांतत्रिपाठी ‘निराला’ : (क) जागोफिर, एकबार (ख) तोड़तीपत्थर
हरिवंशरायबच्चन : (क) पथकीपहचान (ख) लहरोंकानिमत्रंण (केवलछःभाग)
केदारनाथअग्रवाल : (क) यहधरतीहैउसकिसानकी
पद्य
सुभद्राकुमारीचौहान : वीरोंकाकैसाहोबसंत
सूर्यकांतत्रिपाठी ‘निराला’ : (क) जागोफिर, एकबार (ख) तोड़तीपत्थर
हरिवंशरायबच्चन : (क) पथकीपहचान (ख) लहरोंकानिमत्रंण (केवलछःभाग)
केदारनाथअग्रवाल : (क) यहधरतीहैउसकिसानकी
शब्दनिर्माणएवंशब्दसम्पदा
प्रत्यय व उपसर्ग
संधि : (केवलस्वर- दीर्घ, गुण, यण, वृद्धि, अयादि
समास : (अव्ययीभाव, द्वंद्व, द्विगुु, कर्मधारय, तत्पुरूष, बहुब्रीहि)
मुहावरेवलोकोक्त्तियाँ (राजस्थानी)
विलोम, पर्यायवाची
व्याकरणिककोटियाँ
संज्ञा : (व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक)
सर्वनाम : (पुरूषवाचक, अनिश्चयवाचक, निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, सम्बन्धबोधक, निजवाचक)
विशेषण : (गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, सार्वनामिकविशेषण)
क्रिया : कर्मकेअनुसार (सकर्मक, अकर्मक),
क्रियाविशेषण : (कालवाचक, स्थानवाचक, परिमाणवाचक, रीतिवाचक
प्रयोजनमूलकहिन्दी : प्रयोगकेक्षेत्र
संक्षेपण : महत्व, प्रक्रिया, विशेेषताएँएवंसक्षेपककेगुण
पल्लवन : महत्व, प्रक्रिया, एवंभाषा
प्रतिवेदन (रिपोर्ट) : परिभाषा, प्रारूप, प्रक्रियाएवंप्रशासनिकपत्राचार
राजस्थानीलोकोक्तियाँ
1- बाहरबाबूसूरमा, घरमेंगीदड़दास।
अर्थ - बाहरजाकरस्वयंकीशेखीबघारनालेकिनघरमेंडरपोकबनेरहना।
2- पाँचसातकीलाकड़ी, एकजणैकोभार।
अर्थ - बोझकोयदिबाँटलियाजाए, तोबोझनहींरहता, यदिएकपरडालाजा, तोभारबनजाताहै।
3- मीठाखरबूजाखांडसूखावो, काचीकाकड़ियारैलूणलगावौ।
अर्थ - सज्जनव्यक्तियोंसेमेलजोलरखोऔरदुर्जनसेकिनाराकरो।
4- पूतसपूताक्यूँधनसंचे, पूतकपूताक्यूँधनसंचै।
अर्थ - यदिपुत्रसपूतहोतोधनसंचयकीकोईआवश्यकतानहींहै, वहस्वयंकमाकरखालेगाऔरयदिपुत्रकुपुत्रहोतोभीधनजोड़नेकीआवश्यकतानहींहैक्योंकिवहसाराजोड़ाहुआधनउड़ादेगा।अर्थात्दोनोंअवस्थाओंमेंधनजोड़नाव्यर्थहै।
5- मनखधारेजोकरे।
अर्थ - मनुष्यजोसोचताहैकरदिखाताहै।/ पुरूषार्थीकेलिएकुछभीअसम्भवनहीं।
6- थोथोचणोबाजेघणो।
अर्थ - जिनमेंगुणनहीं होतेवेबढ़चढ़करबातेंकरतेहैं।
7- जनमैजदजादीख, पूतांरापगपालणे।
अर्थ - मनुष्यकेगुणऔरअवगुणउसकेजन्मसेहीदिखाईदेनेलगतेहैं।
8- अंबरकोतारोहाथसूंकोनीटूटै।
अर्थ - असंभवकार्यकोसंभवनहींकियाजासकता।
9- अक्कलमंदनैइसारोघणो।
अर्थ - बुद्धिमानकोइशाराकाफीहै।
10- अठीनैपड़ैतोकूवौ, वठीनेपड़ैतोखाई।
अर्थ - सभीओरसेविपदाकाआना।
11- अलखराजीतोखलकराजी।
अर्थ - जिसपरईश्वरप्रसन्नहो, उसपरसारासंसारप्रसन्नरहताहै।
12- आंगलीपकड़तौ-पकड़तौपूंचोपकड़लियो।
अर्थ - ज़रासाआश्रयपाकरपूर्णआधिपत्यजमालेना।
13- आयारीसमाईपणगयारीसमाईकोनी।
अर्थ - लाभकितनाहीहोमनुष्यसहनकरलेताहै, परहानिकोसहननहींकरसकता।
14- ऊंदरीराजायाबिलईखोदै।
अर्थ - परम्परागतकार्यबच्चेस्वतःसीखजातेहैं।
15- माखणतोदहीसूंईंनिकले।
अर्थ - पुरूषार्थसेहीसफलतामिलतीहै/तपस्यासेहीज्ञानप्राप्तहोताहै।
16- कठैराजाभोज, कठैगांगलोतेली।
अर्थ - दोअसमानहस्तियाँयाआकाशपातालकाअंतर।
17- कथनीसूंकरणीदोरी।
अर्थ - कहनासरललेकिनकरनाकठिनहोताहै।
18- कागारेतूमळमळन्हाय, थारीकाळसकदेनैजाय।
अर्थ - दुष्टकीदुष्टतातीर्थऔरव्रतसेदूरनहींहोती।
19- कुण-कुणनैसमझाइये, कुवैभांगपड़ी।
अर्थ - जबसभीअड़ियलरूखअपनालेंतोकिसेसमझायाजाए।
20- कीड़ीचालीसासरै, नौमणसुरमौसार।
अर्थ - जबगरीबअर्थात्अकिंचनव्यक्तिअधिकआडंबरकरे।
21- गयीभूखनैहेलापाड़ै।
अर्थ - जातीहुईभूखकोन्यौतादेना।जानबूझकरगरीबीकोगलेलगाना।
22- गायनबाछी, नींदआवैआछी।
अर्थ - किसीप्रकारकाझंझटनहोना।
23- चोरीरोधनमोरीमेंजाय।
अर्थ - बेईमानीसेकमायाधनशीघ्रहीनष्टहोजाताहै।
24- ठाकरतोठिकाणैईरूड़ालागे।
अर्थ - जिसकीजोजगहहोतीहै, वोवहींशोभादेताहै।
25- भैंसरेआगेबीणबजाई, गोबररोईनाम।
अर्थ -गुणग्र्राहकहीगुणोंकीकद्रकरसकताहै।